नई दिल्ली । सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में नेशनल मिड डे मील योजना अब ‘पीएम पोषण' योजना के नाम से जानी जाएगी और इसमें बाल वाटिका...
नई दिल्ली । सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में नेशनल मिड डे मील योजना अब ‘पीएम पोषण' योजना के नाम से जानी जाएगी और इसमें बाल वाटिका से लेकर प्राइमरी स्कूल के स्तर के विद्यार्थियों को कवर किया जाएगा। सरकार ने बुधवार को इस बात की घोषणा की। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (CCEA) की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि कुपोषण के खतरे से निपटने के लिए हम हरसंभव काम करने को प्रतिबद्ध हैं। पीएम-पोषण को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय बहुत अहम है और इससे भारत के युवाओं का फायदा होगा।
शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया कि यह योजना पांच सालों 2021-22 से 2025-26 तक के लिए है जिस पर 1.31 लाख करोड़ रुपए खर्च आएगा। उन्होंने बताया कि इसके तहत 54,061.73 करोड़ रुपए और राज्य सरकारों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से 31,733.17 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल की अवधि के लिए ‘स्कूलों में राष्ट्रीय पीएम पोषण योजना' को जारी रखने की मंजूरी दी गई है। मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार खाद्यान्न पर करीब 45,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त लागत भी वहन करेगी। इस प्रकार योजना पर कुल खर्च 1,30,794.90 करोड़ रुपए आएगा। मंत्री ने बताया कि अभी तक देश में मिड डे मील योजना चल रही थी और मंत्रिमंडल ने इसे नया स्वरूप दिया है।
CCEA ने इसे पीएम पोषण योजना के रूप में मंजूरी दी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि रसोइयों, खाना पकाने वाले सहायकों का मानदेय प्रत्यक्ष नकद अंतरण (DBT) के माध्यम से दिया जाए। इसके अलावा स्कूलों को भी DBT के माध्यम से राशि उपलब्ध कराई जाए। मंत्री ने कहा कि इससे 11.20 लाख स्कूलों के 11.80 करोड़ बच्चों को लाभ मिलेगा। बता दें कि मिड डे मील योजना 1995 में शुरू की गई थी जिसका लक्ष्य प्राथमिक स्कूल के छात्रों को कम से कम एक बार पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना था। यह बाद में स्कूलों में दाखिले में सुधार करने में सहायक बन गई। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नई योजना के तहत अगर राज्य अपनी स्थानीय सब्जी या कोई अन्य पौष्टिक भोजन या दूध या फल जैसी कोई चीज शामिल करना चाहते हैं तो वे केंद्र की मंजूरी से ऐसा कर सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि यह आवंटित बजट में होना चाहिए। इससे पहले, राज्यों को कोई अतिरिक्त वस्तु शामिल करने पर लागत खुद वहन करनी पड़ती थी।
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