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नई सहकारिता नीति जल्द पांच साल में लगभग तीन लाख हो जाएंगी सहकारी समितियां - अमित शाह

रायपुर । इफको द्वारा आयोजित  राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन से  भाग लेकर  आने पर एक भेंट वार्ता में  भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्र...


रायपुर ।

इफको द्वारा आयोजित  राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन से  भाग लेकर  आने पर एक भेंट वार्ता में  भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री श्री अमित  शाह ने देश की गरीबी और असमानता  को दूर करने के लिए सहकारिता  को ही एकमात्र रास्ता बताया है ।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बहुत जल्द  ही नई सहकारिता नीति लेकर   आएगी। श्री शाह ने  नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में पहले राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता के माध्यम से ही भारत को लगभग 370 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था बनाना संभव होगा। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार का  सहकारिता मंत्रालय सब राज्यों के साथ सहकार करके चलेगा। किसी को यह सोचने की जरूरत नहीं है कि सहकारिता केंद्र का विषय है या राज्य का विषय है। सहकारिता  आंदोलन की मजबूती के लिए सभी राज्यों को साथ लेकर  काम करेंगे।  वर्तमान समय में देश में लगभग 65000 पैक्स /लैंप्स की संख्या है जिसे अगले 5 सालों में बढ़ाकर प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों की संख्या लगभग तीन लाख की जाएगी। श्री शाह ने कहा कि, मुझे गर्व है कि मैं नए सहकारिता मंत्रालय का पहला मंत्री हूं ,देश के सभी सहकारी नेताओं और कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि  अब लापरवाही नहीं प्राथमिकता का समय आ गया है। सभी सहकार  की भावना से काम कर सहकारिता को आगे बढ़ाने में मदद करें। *सहकार से समृद्धि* हमारा नया मंत्र है ।जिसे हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने दिया है। देश का विकास बिना सहकारिता के संभव नहीं है। प्रधानमंत्री की इच्छा है कि देश की अर्थव्यवस्था सहकारिता के आधार पर बने। श्री शाह ने कहा कि जब जब देश में विपदा आई है सहकारिता आंदोलन ने देश को बाहर निकाला है। सहकारी बैंकें  मुनाफे की चिंता किए बगैर लोगों का काम करते हैं क्योंकि देश के संस्कारों में सहकारिता है। दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम से देश का पहला सहकारिता सम्मेलन हुआ जिसमें देश के विभिन्न सहकारी समितियों के लगभग 2100 से अधिक प्रतिनिधि और लगभग 10 करोड से अधिक  ऑनलाइन प्रतिभागी इस सम्मेलन में भाग ले चुके हैं। श्री शाह ने अमूल  और लिज्जत को  सहकारिता के दो   आयाम बताए। अमूल से जहां देश के करोड़ों किसान जुड़े हुए हैं वहीं लिज्ज़त पापड़ से महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। सहकारिता मंत्रालय बनने से सहकारी  संस्थाएं मजबूत होगी। प्रधान मंत्री मोदी जी द्वारा दिए गए मंत्र *सहकार से समृद्धि* के नए मंत्र से सहकारिता आंदोलन को गति मिलेगी ।सहकारिता मंत्रालय सहकारी संस्थाओं को मजबूत करने, पारदर्शी बनाने ,उनका आधुनिकीकरण करने व कंप्यूटरीकरण करने के लिए बनाया गया है।  सहकार से समृद्धि का अर्थ छोटे से छोटे व्यक्ति को  विकास की प्रक्रिया में हिस्सेदारी बनाना, सहकारिता की प्रक्रिया से हर घर को समृद्ध बनाना, हर परिवार की समृद्धि से देश को समृद्ध बनाना, यही सहकार से समृद्धि का मूल मंत्र है।

 श्री शाह ने सहकारिता के उत्थान के लिए नेशनल कोआपरेटिव यूनिवर्सिटी बनाने की भी वकालत की ।ज्ञातव्य हो कि राष्ट्रीय शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान खोले जाने के लिए  श्री द्विवेदी द्वारा भी मांग  पत्र पूर्व में  केंद्रीय सहकारिता मंत्री को दिया जा चुका था।  सहकारिता को आगे बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग ,स्किल डेवलपमेंट तथा भर्ती और चुनाव में पारदर्शिता लानी होगी।

 श्री शाह ने कहा कि सहकारी समितियों को जमीनी स्तर पर पहुंचाने का काम सहकारिता मंत्रालय के तत्वाधान में होगा। उन्होंने अमूल की तर्ज पर स्व सहायता समूह भी अपनी सोसाइटी बनाकर काम कर सके, इसके लिए विशेष कानूनी प्रबंध की जरूरत है जिस पर कार्य प्रारंभ हो गया है ।मछुआरा समितियों तथा  वन उत्पादन के लिए जनजातीय  सहकारी समितियां बनाकर काम किए जाने पर भी बल दिया।

  अंत में श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी की इच्छा है कि सहकारिता के आधार पर भारत के विकास का नया अध्याय लिखा जाए ।मोदी जी के  आत्मनिर्भर भारत के सपने को चरितार्थ करने के लिए सहकारिता क्षेत्र की भूमिका इसमें अहम होगी।

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